लेंसों से होता है (इसी वजह से इसे संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (
2.
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी और पीछे इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से ये देखे जा सकते हैं।
3.
ऐसे सूक्ष्मदर्शी को संयुक्त सूक्ष्मदर्शी या प्रकाश सूक्ष्मदर्शी या परंपरागत प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी कहते हैं।
4.
के अनुसार किसी भी सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता उसमें प्रयुक्त प्रकाश की तरंग दैर्ध्य के आधे से अधिक नहीं हो सकती| अतः २०० नैनोमीटर संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की मूलभूत सीमा है| यद्यपि पिछले पाँच दशकों में कई नए प्रकार के प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शियों का विकास किया गया है जिनके द्वारा अब ५० नैनोमीटर से भी कम देख पाना सम्भव है तथा प्रतिबिम्ब गुणवत्ता में भी काफ़ी सुधार हुआ है| इनमें से संनाभि सूक्ष्मदर्शी (